Monday, December 1, 2025

जांच में गड़बड़ी उजागर हुई : 04 करोड़ रूपये के ग्रेवल सड़क निर्माण कार्यों के दस्तावेज कार्यालय से नदारद,मप्र के डिंडोरी जिले का मामला !

सामग्री क्रय हेतु स्वीकृति आदेश किसी का और सप्लाई कराया किसी और से

– खनिज विभाग से नहीं ली अनुमति, ना ही मटेरियल परीक्षण रिपोर्ट व एम.ए.एस रजिस्टर विभाग में उपलब्ध

-ज़िला पर्यटन बोर्ड के सदस्य सम्यक् जैन ने विधि विरुद्ध कार्य करने के लगाये थे आरोप

सेवाजोहार (डिंडोरी):-  शासन द्वारा ग्रामीण अंचलों को मुख्य मार्ग से जोड़कर आवागमन सरल बनाने के लिए सड़क निर्माण के लिए करोड़ों रुपये स्वीकृत किए गए। यह राशि खर्च भी हो गई लेकेन जहां सड़क बननी थी वहाँ सड़क नहीं बन पाई। आदिवासी अंचल में आए दिन ऐसे मामले अखबारी सुर्खियों में बने रहते है, लेकिन कार्यवाही की यदि बात की जाए तो नतीजे विपरीत रहते है, प्राप्त जानकारी के मुताबिक जिला पर्यटन बोर्ड के सदस्य सम्यक जैन ने पर्यटन विकसित हेतु स्थान का मुआयना किया था तो अनेक चौकाने वाले तथ्य सामने आए थे, जिसे लेकर उन्होंने कलेक्टर डिंडोरी को पत्र के माध्यम से आरोप लगाते हुए अवगत कराया था की डिंडोरी जिला अंतर्गत खाल्हे भंवरखंडी से बसनिया गोलीमार घाट तक ग्रेवल सड़क निर्माण लागत राशि 135.2 लाख, ग्रेवल सड़क बसनिया-गोलीमार घाट से जोहिला नदी लागत 140.682 लाख एवं बघाड़ से रामगूढ़ा लागत राशि 148.52 लाख, भ्रष्टाचार की भेंट छड़ गई है। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा बिना काम कराये क़ानूनी प्रक्रिया पूर्ण किए बिना सप्लायर को करोड़ों का भुगतान करके शासकीय धन एवं पद का दुरुपयोग किया है। वही कलेक्टर द्वारा मामला संज्ञान में लेते हुए सीईओ ज़िला पंचायत को निर्देशित कर जाँच करने के आदेश दिये थे जहां जाँच दल ने अपने जाँच प्रतिवेदन में उल्लेखित किया कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा रोड निर्माण कार्य में लगने वाली सामग्री के क्रय हेतु कोटेशन आमंत्रण कर सामग्री न्यूनतम दरो पर क्रय की गई किंतु कोटेशन आमंत्रण का प्रकाशन समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया अथवा नहीं इसके अभिलेख विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराये गये वही प्राप्त न्यूनतम दर महेश सिंह परमार की स्वीकृत है,किंतु सप्लाई ऑर्डर मेसर्स अन्नपूर्ण मटेरियल सप्लायर को दिये गये,साथ ही खनिज विभाग से रिवर बेड सामग्री का नदी से खनिज करने की किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई ना ही रोड निर्माण की परीक्षण रिपोर्ट व एम.ए.एस रजिस्टर विभाग में उपलब्ध है जो यह दर्शा सके की वास्तव में रोड का निर्माण किया गया है या नहीं। वही जाँच दल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी ज़िक्र किया है की विभाग द्वारा संपूर्ण अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने के कारण मूल्यांकन किया जाना संभव नहीं है।

गुणवत्तापूर्ण कार्य होता तो आम जनता को मिलता पर्यटन स्थल का फायदा

निर्माण कार्य के नाम पर गड़बड़झाला का मामला करोड़ों रु का है,इसलिए जांच कर दोषियों पर कार्यवाही किया जाना समय की दरकार है,लेकिन आपको यह बताना भी बेहद जरूरी है की यदि यह मार्ग पूरी निष्ठा के साथ बनाया जाता तो जोहिला नदी तक आसानी से पहुंचा जा सकता था,और विकास के नए आयाम स्थापित किए जा सकते थे,साथ ही कम समय में एक ज़िले से दूसरे ज़िले में आसानी से प्रवेश किया जा सकता था, एवं स्थानीय जनों को रोजगार के नए अवसर मिलते और पर्यटन के क्षेत्र में भी इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा सकता था, विभाग यहां काम करने का दंभ तो भर रहा है,लेकिन जैसे ही आप यहां पहुंचेंगे तो विभाग के सारे दावे खोखले नजर आएंगे। स्थिति देख यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है की इन सड़कों पर बंदरबांट करने के बाद विभाग में पदस्थ जिम्मेदारों ने मुड़कर नही देखना भी मुनासिब नहीं समझा ।

इनका कहना है :-

मैने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से क्षेत्र का दौरा किया था, तब मुझे जानकारी प्राप्त हुई की यहां पर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा करोड़ों रु खर्च तो किए गए, लेकिन नतीजे सिफर रहे। ऐसी स्थिति में मैने कलेक्टर डिंडोरी को पत्राचार कर जांच की मांग की थी, जिसमे जिम्मेदार विभाग जानकारी प्रदाय करने में हीला- हवाली कर रहा था साथ ही जो मेरे द्वारा आरोप लगाए गए थे वह सही पाये गये । हमने लोकायुक्त कार्यालय को पूरी जानकारी देकर मार्गदर्शन प्राप्त किया है। शीघ्र संबंधित अधिकारियों के ख़िलाफ़ विधि संगत कार्यवाही कराएँगे।
सम्यक जैन (सदस्य,जिला पर्यटन बोर्ड डिंडोरी)

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