दीपक ताम्रकार की रिपोर्ट
अब यहां अतिक्रमण किसी को क्यूं दिखाई नही दे रहा !
सेवाजोहार (डिंडोरी):- डिंडोरी जिला मुख्यालय में बीते सप्ताह अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन,परिषद और यातायात विभाग की संयुक्त कार्यवाही ने बहुत कुछ अच्छा काम किया जिसकी सराहना की जा सकती है लेकिन एक काम ऐसा कर दिया जिस पर बीते एक हफ्ते से सवाल खड़े हो रहे है। डिंडोरी नगर के वार्ड क्रमांक एक में जिला परिवहन कार्यालय के बाहरी परिसर में 30 वर्षो से काबिज पांडे भोजनालय जिसे चलाने वाला बुजुर्ग पति पत्नी (ब्राम्हण परिवार )जिसका एक मानसिक रूप से दिव्यांग बेटा उन सभी की रोजी रोटी का एक ही सहारा था वह भोजनालय। पांडे भोजनालय में घर जैसा स्वाद खाने को मिलता था वह भी किफायती दाम पर थाली में। लेकिन प्रशासन द्वारा की गई संयुक्त कार्यवाही का सोशल मीडिया में जमकर विरोध किया जा रहा है,लोगो का कहना है की कार्यवाही करनी थी तो न्याय संगत करनी थी ।
अब उस जगह को अतिक्रमण से मुक्त कर दिया गया है। लेकिन लोगों की सहानुभूति आज भी पांडे भोजनालय को संचालित करने वाले ब्राम्हण परिवार से बनी हुई है। लोग फिक्र मंद है की प्रशासन द्वारा सख़्ती के बाद संयुक्त कार्यवाही से अब पांडे भोजनालय वाले कहा रह रहे है,कैसे अपना जीवन यापन कर रहे है,सोचना भी लाजमी है लोगो का क्युकी एक बुजुर्ग दंपति और उसका बेटा जिनका किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं न रेट में न क्वालिटी में। फिर भी ईश्वर जितने ग्राहक उन तक पहुंचाता था उसी से उनका जीवन यापन चल रहा था।
डिंडोरी के जिला परिवहन अधिकारी जिनके करीबी माने जाने वाले आयसर ट्रैक्टर एजेंसी के मालिक जिनके ट्रैक्टर आज भी जिला परिवहन कार्यालय के भीतर दबंगई से खड़े होते है,जिनके द्वारा परिवहन परिसर की दीवार को नुकसान पहुंचाया गया उस पर कार्यवाही आज तक नही कर पाए मंशा साफ तौर पर दिखाई पड़ती है फायदा पहुंचाने की। सूत्र तो बताते है की अब बाकी के ट्रैक्टर उसी जगह पर खड़े होंगे जहा पांडे भोजनालय हुआ करता था।
यातायात विभाग के अधिकारी को सड़क किनारे लाइन से खड़े ट्रैक्टर दिखाई नही पड़ते है जिनसे हादसे का अंदेशा बना रहता है। कभी भी कोई हादसा इस टर्निंग मोड़ पर घटित हो सकती है। लेकिन यातायात विभाग के साहब दो चश्मे से देखते है एक अपना और एक पराया,शायद इसी नजरिए के कारण आयशर ट्रैक्टर एजेंसी धारक के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही है जो अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करती है।