डिंडोरी से दीपक ताम्रकार की रिपोर्ट
शिक्षा विभाग जो काम ढेड़ माह में न कर सका,स्टूडेंट्स ने वह काम 14 किलोमीटर चलकर करवा लिया
सेवाजोहार (डिंडोरी):- आदिवासी जिला डिंडोरी की एक ख़बर ने जिला से लेकर प्रदेश तक खलबली मचा दी। मामला था स्कूल के बच्चों से जुड़ा जो देश का भविष्य कहलाते है,महात्मा गांधी की तरह पैदल यात्रा (दांडी यात्रा) कर उन्होंने भी शिक्षा विभाग के सोए हुए अधिकारियों को नींद से जगा दिया,जो काम डेढ़ महीने में न हो सका वह काम स्टूडेंट्स ने 14 किलोमीटर चलकर करवा लिया। अब जरा सोचिए कि यह जिले के एक स्कूल के बच्चों ने कर दिया अगर सभी बच्चें जागरूक हो उठे और अपने हक के लिए शांतिपूर्ण तरीके से पैदल यात्रा करने लगे तो निश्चित ही जिले की शिक्षा व्यवस्था में सुधार आ जायेगा।वैसे भी जिले की बदहाल और लचर शिक्षा व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है।
यह है पूरा मामला
मामला जिला के विकासखंड डिंडोरी की ग्राम टिकरी पिपरी का हैं,जिसका रास्ता जिला मुख्यालय से जंगल और पहाड़ से होते हुए जुड़ता है। टिकरी पिपरी गाँव मे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय केवल कहने को है जिसमें प्राचार्य मिलाकर दो ही शिक्षक हैं उनके हवाले 300 से ज्यादा बच्चें जो कक्षा 6 वी से लेकर 12 तक के है। उसमें भी अलग अलग संकाय में अध्ययनरत हैं । स्कूल खुले ढेड़ माह बीत रहा है पढ़ाई सभी विषयों की शुरू हो चुकी थी ऐसे में अलग अलग संकाय में पढ़ रहे टिकरी पिपरी छात्र छात्राओं को अपने भविष्य की चिन्ता सताने लगी कि कैसे दो शिक्षकों के भरोसे इतनी क्लास के बच्चों की पढ़ाई होंगी। तब मजबूरी में टिकरी पिपरी स्कूल के सभी क्लास के बच्चों ने फैसला किया कि मंगलवार के दिन आयोजित जनसुनवाई में कलेक्टर विकास मिश्रा से मुलाकात कर सपनी समस्या को रखेंगे। बच्चें आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं थे कि जिला मुख्यालय वाहन से किराया लगाकर आते ,तो उन्होंने पैदल ही गाँव से जिला मुख्यालय पैदल जाने का फैसला किया और नारेबाजी करते हुए निकल पड़े।
छात्र छात्राओं के पैदल जिला मुख्यालय जाने और केवल कलेक्टर से मिलने की ख़बर ग्रामीणों के जरिये जिले के कुछ मीडिया कर्मियों को लगी उन्होंने जनप्रतिनिधियों को बताया और खबरें धीरे धीरे जिला से लेकर प्रदेश तक सुर्खियां बन गई। जनप्रतिनिधियों ने जिला कलेक्टर सहित शिक्षा विभाग के सोए हुए अधिकारियों को दी । लेकिन तब तक बच्चे 13 किलोमीटर की दूरी का सफर पैदल भूखे पेट कर चुके थें। भोपाल तक ख़बर पहुँचते ही वहाँ बैठें अधिकारियों ने जानकारी जिले से लेना शुरू की तब जाकर अधिकारी बीच रास्ते मे जनप्रतिनिधियों के साथ पहुँचते है और स्टुडेंट्स की समस्या को सुनने सड़क पर ही पाठशाला लगाते है। लगभग आधे घण्टे की चर्चा के दौरान यह फैसला होता है कि छात्रों की जायज मांगो को आज के आज ही दूर किया जाएगा तब जाकर स्कूली बच्चें वापस टिकरी पिपरी आने को तैयार होते है। बस और जनप्रतिनिधियों के वाहन के जरिये लगभग 200 बच्चों को 14 किलोमीटर से वापस स्कूल पहुँचाया जाता हैं जहाँ जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी पहुँचते है और छात्र छात्राओं की जमीनी समस्या से रूबरू होते है। अंतिम रूप देते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते,उपाध्यक्ष और शिक्षा समिति अध्यक्ष अंजू जितेंद्र ब्यौहार के प्रयास से बच्चों की समस्याओं को गंभीरता से लिया गया।
सोचिए शिक्षक की मांग को लेकर अगर छात्र छात्राएं सड़को पर नही उतरते तो क्या उनकी मांग स्कूल के प्राचार्य,जनशिक्षक या विकासखंड शिक्षा अधिकारी पूरी कर पाते ?