शासन की ऑनलाइन योजनाओं और सुविधाओं से वंचित हितग्राही
एडवोकेट सम्यक् जैन ने संचार मंत्री वैष्णव व राष्ट्रीय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे को लिखा पत्र
सेवाजोहार(डिंडोरी):- जिले के जागरूक एडवोकेट सम्यक् जैन ने भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रोधोगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव व राष्ट्रीय मंत्री व शाहपुरा विधायक ओमप्रकाश धुर्वे को पत्र लिख देश के अति पिछड़ा जिला डिंडौरी के आमजनों की परेशानी एवं आवश्यकता को देखते हुए जिले के संचार विहीन क्षेत्रो को दूर संचार सेवा से जोड़ने के लिए सार्थक प्रयास करने का ज़िक्र किया है।
21वीं सदी में मोबाइल ने संचार के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है।केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया के तहत सरकारी कार्य ऑनलाइन करने का प्रावधान किया गया है।
शासन के जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में परिवर्तन लाने के लिए मोबाइल को एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखा जा रहा है।
शुरुआत में मोबाइल का उपयोग सिर्फ संचार के माध्यम के रूप में किया जाता था, लेकिन सरकारी एजेंसियों द्वारा आज इसका उपयोग लोगों तक न सिर्फ महत्वपूर्ण जानकारियाँ पहुँचाने के लिए किया जा रहा है बल्कि उन्हें “कभी भी एवं कहीं भी” सरकारी सेवाएँ उपलब्ध करवाए जाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। आज मोबाइल के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग, व्यवसाय इत्यादि से संबंधित सेवाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं। परंतु मुझे बताते हुए खेद है कि मध्य प्रदेश का आदिवासी बाहुल्य ज़िला डिंडोरी जो अपनी 25 वी वर्ष गाँठ बना रहा है परंतु आज भी हमारे क्षेत्र के ग्रामीण बुनियादी सुविधा के साथ मोबाइल नेटवर्क की कनेक्टिविटी नहीं मिलने से परेशान है। सोशल मीडिया और संचार क्रांति के इस दौर में मोबाइल नेटवर्क के अभाव में शासन की ऑनलाइन योजनाओं और सुविधाओं का लाभ भी ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। जननी एक्सप्रेस, 108 एंबुलेंस और 100 डायल की जरूरत पड़ने पर ग्रामीणों को नेटवर्क की तलाश में भटकना पड़ता है। बीएसएनएल और निजी कंपनी का टावर भी आए दिन बंद होने से उपभोक्ता परेशान होते है। आधुनिक इस दौर में गांव-गांव मोबाइल नेटवर्क पहुंचाने के दावे यहां खोखले साबित हो रहे है। ग्राम पंचायतों में भी नेट की सुविधा नहीं होने से ऑनलाइन योजनाओं के लाभ से ग्रामीण वंचित है। डिंडोरी सहित अन्य गांव पहाड़ी क्षेत्र से घिरा होने के कारण दूर-दूर तक मोबाइल टॉवर नहीं मिलता है। एक ओर जहां सरकार ऑनलाइन प्रक्रिया को बढ़ावा दे रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल और नेटवर्क ही नहीं मिल पा रहा है।
क्षेत्र भ्रमण के द्वरान ग्रामीणों ने सम्यक् को बताया कि दिन के समय अगर किसी को बहुत जरूरी बात करनी हो तो पहाड़ी पर जाना पड़ता है। रात के समय कोई इमरजेंसी होने पर सुबह का इंतजार करना पड़ता है। सबसे ज्यादा दिक्कत बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए जननी एक्सप्रेस और एंबुलेंस बुलाने में आती है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर ऐसे हालात रहे तो डिजीटल इंडिया का सपना कैसे पूरा होगा। क्षेत्र के ग्रामीणों रामनारायण बनवासी, मनोज धाकड़, सतीश मेहरा ने बताया कि सड़क किनारे तो बीएसएनएल, जियो, एयरटेल के कनेक्शन मिलते हैं। लेकिन कई गांवों में इन कंपनियों के मोबाइल धारकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कभी नेटवर्क आ जाता है तो कभी बिल्कुल नेटवर्क नहीं मिलता है।
केंद्र और राज्य की अनेक योजनाओं में मिलने वाली सब्सिडी से लेकर समर्थन मूल्य पर बेची जाने वाली उपज आदि की जानकारी के लिए मोबाइल पर ओटीपी और मैसेज आते है। क्षेत्र में नेटवर्क नहीं मिलने से हितग्राहियों और ग्रामीणों को परेशानी होती है। एक ओर जहां सरकार ऑनलाइन प्रक्रिया को बढ़ावा दे रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल और नेटवर्क ही नहीं मिल पा रहा है। परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन फार्म भरने में परेशानी विभिन्न परीक्षाओं और योजनाओं की प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है। ज़िले के अधिकांश अंचलों में नेट नहीं चलने से एमपी ऑनलाइन सेंटर भी नहीं चल पा रहे हैं। ऐसे में ऑनलाइन बैकिंग, बिजली के बिल जमा करने सहित अन्य जरूरी कार्य नहीं हो पा रहे है। साथ ही युवाओं को रोजगार के अवसर भी नहीं मिल पा रहे है। कई गांवों में तो मोबाइल का कवरेज मिलना बंद हो जाता है, लोगों को आपात स्थिति में परेशानी होती है।
ग्रामीणों का कहना है कि इन क्षेत्रों में लगे टावरों की कनेक्टिविटी बढ़ाई जानी चाहिए। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में लगे प्राइवेट कंपनियों के टावरों की कनेक्टिविटी नहीं होने से असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इन प्राइवेट कंपनियों के अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
वही सम्यक् ने आमजनों की परेशानी एवं आवश्यकता को देखते हुए जिले के संचार विहीन क्षेत्रो को दूर संचार सेवा से जोड़ने के लिए सार्थक प्रयास करने की बात कही है।