जिले के पश्चिम करंजिया वन परिक्षेत्र के गांव में हाथियों ने जमाया डेरा
सेवाजोहार (डिंडोरी):- जिले के वन परिक्षेत्र पश्चिम करंजिया के गांव में हाथियों के डेरा होने से प्रभावित गांव के ग्रामीणों की रात जाग कर कट रही है। चार हाथियों का दल पिछले पांच दिनों से अलग-अलग गांव में उत्पाद मचा रहा है। रविवार की रात हाथियों ने इमली टोला में बने वनरक्षक आवास को तोड़कर क्षतिग्रस्त कर दिया। गनीमत रही कि अंदर कोई नहीं था। नहीं तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी। ग्रामीणों द्वारा अपनी फसल को बचाने के लिए अलग-अलग प्रयास किया जा रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा कटी फसल के ऊपर कांटे नुमा पौधे और झाड़ियां रखी जा रही है, जिससे कुछ फसल बचाई जा सकी। बताया गया कि अभी भी हाथी इमली टोला, बोयरहा,केन्द्रा बहरा,अमहादारर के आसपास ही हाथियों का मूवमेंट देखा जा रहा है। वन विभाग का अमला हाथियों को बाहर निकालने में जुटा हुआ है।इसके लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि हाथियों का दल छत्तीसगढ़ के जंगलों से डिंडोरी जिले की सीमा में आया है। अब तक चार मकानों को तोड़ने के साथ दर्जनों किसानों की फसल को हाथी प्रभावित कर चुके हैं। रेंजर प्राची मिश्रा ने बताया की एक मादा हाथी अधिक उत्तेजित है।उसके बच्चे की चार-पांच महीने पहले मौत हुई थी। उसी के बाद उसके व्यवहार में परिवर्तन बताया जा रहा है।
बताया गया कि अधिकांश मकान इस मादा हाथी ने ही तोड़े हैं। इसको लेकर भी वन विभाग का अमला ग्रामीणों को जानकारी देने के साथ अलर्ट करने में जुटा हुआ है। बताया गया कि हाथी गुरुवार को आए थे, तब से लगातार अलग-अलग गांव में फसलों को प्रभावित कर रहे हैं। गौरतलब है कि इन दिनों क्षेत्र में धान की फसल की कटाई,गहाई के साथ गेहूं की फसल बुवाई भी चल रही है।ऐसे में प्रभावित गांव की किसान कटाई, गहाई के साथ बुवाई का काम भी नहीं कर पा रहे हैं। बड़ी संख्या में ग्रामीण एकजुट होकर पक्के आवासों में रात बिता रहे।
ग्रामीणों की फसल किए चौपट
खम्हारखुदरा ग्राम पंचायत के गांवों में अस्थाई डेरा जमाएं हाथियों के दल का कहर लगातार जारी है दिन भर विश्राम करने के बाद सोमवार की देर रात अम्हादादर में हरकत करते हुए हाथियों के दल ने सर्वप्रथम राजकुमार मरकाम के खलिहान में रखें धान की फसल को खाकर जमीन पर फैला दिया , इमलीटोला पहुंचकर आबादी के पास बने वनविभाग के चौकी में तोड़फोड़ करने के बाद कार्तिक पंद्राम के घर के पास केले के वृक्ष को उखाड़ फेंकते हुए फसलों को रौंदते हुए बढ़ गए झिरिया बहरा व इमली टोला में में महेश धुर्वे,छोटा धुर्वे, राकेश धुर्वे, चंद्रभान मरावी, गेंद सिंह मरकाम,सहिबा धुर्वे,के खेत की फसलों को नुकसान पहुंचाया हैं । गांव के लोगों ने कहना हैं कि हालांकि जिस प्रकार से अब हाथियों का रवैया होता जा रहा हैं उसे देखते हुए अंचलवासी भयभीत हैं ऐसे में लोगबाग खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं क्योंकि खेत खलिहान के कामों से लोगों को घरों से बाहर निकलना पड़ता हैं कभी तो ऐसी नौबत आतीं हैं कि घर के बाहर ही रात गुजारना पड़ता हैं यदि ऐसे ही हालात रहें तो लोग डर के कारण काम नहीं कर पाएंगे इसलिए रोकथाम के लिए कुछ प्रभावी कदम उठाना जरूरी हो गया हैं ।
हाथियों की रात में आती है चिंघाड़ की आवाज
ग्रामीणों की मानें तो वर्तमान में हाथियों का स्वभाव बहुत गुस्सैल प्रवृत्ति का देखा जा रहा ,खासकर यह आबादी के नजदीक आते ही चिंघाड़ उठते हैं इनके चिंघाड़ने की आवाज से ग्रामीणों के मन में भय व्याप्त हो रहा हैं यह इनसे बचाव व अपने जान-माल की सुरक्षा को लेकर अपने स्तर पर प्रयास करते हुए चौंकन्ने हैं , आसपास के गांव और चिर परिचतों को भी सावधान रहने के साथ साथ हाथियों के गतिविधियों और इनके आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने के पूर्व एक-दूसरे को फोन द्वारा सूचित करने के लिए कहा गया है ग्रामीण बताते हैं कि जंगल में इनके चिंघाड़ने की आवाज दूर से सुना जा सकता हैं,लोग आवाज सुनकर सुरक्षित जगहों पर शरण ले लेते हैं इसलिए अब तक जनहानि नहीं हुई है जबकि राहत वाली बात यह हैं कि इन्होंने अब तक मनुष्यों को नुकसान नहीं पहुंचाया हैं लेकिन इनके यही यही घूमने के व्यवहार को नजरंदाज नहीं किया जा सकता, वैसे भी इनके आने के बाद से ग्रामीणों का दिनचर्या प्रभावित होने के साथ साथ थम सा गया हैं लोग खुली हवा में सांस लेने नहीं निकल पा रहें क्षेत्रवासी डर के कारण शाम होते ही घरों में दुबक जाते हैं इसलिए इन्हें यहां से भगाना जरुरी हो गया है ।