इस लाडली दिव्यांग खिलाड़ी बहना की सुध कौन लेगा ?
सेवाजोहार (मंडला):- मध्यप्रदेश के आदिवासी जिला मंडला की एक मात्र महिला दिव्यांग खिलाड़ी जिसने मंडला जिले के लिए अब तक कई मेडल जीत कर लाई और जिसे समाज का नाम रौशन किया हैं उसे अब तक न तो नौकरी मिल पाई और न ही बड़े मंच में सम्मान दिया गया,यह बेहद खेदजनक हैं,मंडला जिला के टिकरवारा में लाडली बहनों को प्रोत्साहन राशि सहित कन्या विवाह में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पहुंचे थे,लोगो को उम्मीद थी कि इस दौरान जरूर मंडला जिले की होनहार बेटी जमुना उईके के सम्मान में कुछ ठोस कदम मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उठाएंगे,या तो मंडला की दिव्यांग बेटी को आजीविका चलाने नौकरी से उपकृत करेंगे या उसे मंच से सम्मान देकर हौसला बढ़ाएंगे,लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,जिससे लोगों को थोड़ा मायूसी का सामना करना पड़ा। जमुना उईके आदिवासी समाज की वो दिव्यांग खिलाड़ी हैं जिसने गोला, भाला , तवा फेक सहित अन्य खेलो में राज्य से लेकर नेशनल तक मंडला जिले को अनगिनत मेडल अवार्ड दिलाया हैं,लेकिन अफसोस की बात तो यह है कि इतना काबिल होने के बाद भी अब तक जमुना की जीविका के लिए किसी एक बार भी अपने स्तर पर प्रयास नहीं किया,बल्कि उनकी स्वयं की उपलब्धि पर लोग क्रेडिट जरूर लेते दिखाई दिए।
मुख्यमंत्री जी आपको बता दे कि मंडला जिले की दिव्यांग बेटी जमुना उईके कई बेटियों के लिए रोल मॉडल है,जमुना को देखकर कई बच्चियां खेल गतिविधियों में न सिर्फ आगे बढ़ रही है बल्कि उनसे मार्गदर्शन भी प्राप्त कर रही हैं।
प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव तक यह जानकारी आखिर जिला प्रशासन या जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ने क्यों नहीं पहुंचाई कि जिले की यह भी होनहार काबिल बेटी है जो हाथ से दिव्यांग होने के बाद भी मंडला का नाम रोशन करने में कभी कोई कमी नहीं रहने देती। मुख्यमंत्री जी को विचार तो करना चाहिए !