आकार से बड़ी आराधना, सुंदरता से बड़ी शुद्धता
सेवाजोहार (डेस्क):- गणेश उत्सव का नाम आते ही बच्चों में सबसे अधिक उत्साह दिखाई देता है। प्रतिमा स्थापना की तैयारियां वे कई दिनों पहले से शुरू कर देते हैं। पहले जहां प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियों की स्थापना होती थी, वहीं आज उनका पर्यावरण पर दुष्प्रभाव सबके सामने है। नदियों में विसर्जन से जल प्रदूषित होता है और खंडित मूर्तियां घाटों पर पड़ी रह जाती हैं।
इसी समस्या को ध्यान में रखकर पर्यावरणप्रेमी एवं नर्मदा समग्र के संस्थापक स्व. अनिल माधव दवे ने लगभग 15 वर्ष पूर्व “आओ बनाएं अपने हाथों अपने श्रीगणेश” अभियान का शुभारंभ भोपाल स्थित नदी के घर से किया। उन्होंने स्वयं मिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाकर स्थापना की और लोगों को प्रेरित किया। धीरे-धीरे यह पहल भोपाल संभाग से लेकर जबलपुर संभाग, इंदौर संभाग, नर्मदापुरम संभाग और भरूच सहित नर्मदा तटवर्ती क्षेत्रों में एक जन आंदोलन का रूप ले चुकी है।
इस अभियान के अंतर्गत बच्चों और बड़ों को मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे घर या गमलों में ही विसर्जन कर सकें। इस तरह प्रतिमा की मिट्टी पुनः प्रकृति में लौटकर किसी पौधे को जीवन देती है।
नर्मदा समग्र के कार्यकर्ताओं ने विगत वर्षों में लाखों बच्चों और परिवारों को प्रशिक्षण देकर यह अभियान पूरे मध्यप्रदेश और गुजरात तक पहुंचाया है। स्थानीय प्रशासन की मदद से कई जगह विसर्जन कुंड भी बनाए गए हैं, जिससे नदियों को प्रदूषण से बचाया जा सके।
स्व. अनिल दवे जी कहते थे—
“जब कोई अभियान समाज का हो जाए, तो उसे समाज के हाथों में सौंप देना चाहिए।”
आज यही हो रहा है। समाज, संस्थाएं और स्वयंसेवी संगठन इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इस पहल को प्रोत्साहित करते हुए पूरे प्रदेश में “माटी गणेश – सिद्ध गणेश अभियान” प्रारंभ किया है। जन अभियान परिषद और नर्मदा समग्र के संयुक्त प्रयासों से मोहल्लों, कॉलोनियों और गांवों में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।
नर्मदा समग्र के संभाग समन्वयक ने बताया माटी गणेश सिद्ध गणेश अभियान के अंतर्गत अनेकों कार्यकर्ताओं को गणेश मूर्ति प्रशिक्षण देकर मास्टर ट्रेनर बनाया गया ताकि यह मास्टर ट्रेनर अपने आसपास के क्षेत्रों के स्कूल कॉलेजों में जाकर गणेश मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण कर सके । साथ ही इस प्रेरणादायी अभियान का मूल उद्देश्य घर घर तक पहुंचा सके और “गणेश जी का विसर्जन घर के गमले या प्रशासन द्वारा बनाए गए कुंड में करें और घर के गमले में विसर्जन उपरांत तुलसी या अन्य कोई पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण के भी सजग पहरी बने ।