विशाल जनसमूह ने सामूहिक रूप से किया ‘पुरुषोत्तम योग’ का पाठ
सेवाजोहार (डिंडोरी):- शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय परिसर डिंडौरी में सोमवार को जिला स्तरीय गीता जयंती महोत्सव उत्साहपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम में कार्यक्रम नोडल अधिकारी डॉ. बिहारी लाल द्विवेदी, महंत निरंजनदेव सन्यास आश्रम रामघाट, आचार्य श्रीनिवास, आचार्य वीरेंद्र शास्त्री, प्रो. कल्पना मिश्रा, डॉ. अनीता कौशल, आचार्य देवेंद्रनाथ चतुर्वेदी, ओमप्रकाश शास्त्री, राजेन्द्र पाठक, दीदी विधि तिवारी, दीदी l भागवंती उपाध्याय, मृणालिनी पाठक तथा जिला प्रशासन से पुलिस अधीक्षक वाहिनी सिंह, सीईओ जिला पंचायत दिव्यांशु चौधरी बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी, शिक्षक-शिक्षिकाएँ एवं विद्यार्थी सहित विशाल जनसमूह ने एक साथ गीता के 15वें अध्याय ‘पुरुषोत्तम योग’ का पाठ किया। गीता आरती के साथ कार्यक्रम का विधिवत समापन हुआ।
गीता सार्वभौमिक जीवन-दर्शन का ग्रंथ : संत आशुतोष चैतन्य
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अग्नि अखाड़ा महामंडलेश्वर संत आशुतोष चैतन्य ने कहा कि गीता किसी एक धर्म या वर्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी मानव जाति के लिए उपयोगी जीवन-दर्शन है। उन्होंने सरकार द्वारा गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि “विदेशों में भी गीता को जीवन-मार्गदर्शक के रूप में अपनाया जा रहा है। हर घर में गीता का पाठ होना चाहिए, क्योंकि यह व्यक्तित्व में ऊर्जा, संस्कार और आत्मविश्वास भरती है।
गीता का व्यापक प्रचार आवश्यक : स्वामी रामशरण पुरी
स्वामी राम शरण पुरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भी गीता के संदेशों से अत्यधिक प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान समाज को अध्यात्म, अनुशासन और कर्तव्यबोध से जोड़ता है, इसलिए इसका व्यापक प्रचार-प्रसार आवश्यक है।
गीता जीवन जीने की कला सिखाती है : विधायक ओमप्रकाश धुर्वे
सभा को संबोधित करते हुए शहपुरा विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता जीवन की जटिल परिस्थितियों में भी सही दिशा दिखाती है। उन्होंने कहा कि “गीता का सिद्धांत – कर्म करो, फल की चिंता मत करो – आज भी उतना ही प्रासंगिक है। विधायक ने कहा कि मनुष्य जीवन भर कमाई और दायित्वों में व्यस्त रहता है, इसलिए 50 वर्ष की आयु के बाद व्यक्ति को अपने लिए भी समय निकालना चाहिए।
भगवद्गीता जीवन की जटिल परिस्थितियों में भी सही मार्ग दिखाती है : कलेक्टर
कलेक्टर अंजू पवन भदौरिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमद् भगवद्गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का विज्ञान है, जो मनुष्य को कर्तव्य, अनुशासन, सत्य और संतुलन का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखते हुए कर्म करते रहने की प्रेरणा देता है।
कलेक्टर ने युवाओं के लिए गीता को मार्गदर्शक दीप बताते हुए कहा कि इससे आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच को बल मिलता है। उन्होंने ऐसे आयोजनों को सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा और समाज में सद्भाव व नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने वाला बताया। अंत में कलेक्टर ने सभी आयोजकों, प्रतिभागियों और सहयोगियों को सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए गीता जयंती की शुभकामनाएँ दीं।
गीता जयंती : क्यों मनाई जाती है यह तिथि
मान्यता है कि इसी शुभ दिवस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए यह दिन गीता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
गीता का सदियों से अटूट महत्व
गीता हिंदू धर्म का सर्वप्रमुख दार्शनिक ग्रंथ है, जिसे आज भी जीवन प्रबंधन, कर्तव्य, भक्ति और ज्ञान का श्रेष्ठ स्रोत माना जाता है। इसमें बताया गया है कि कठिन समय में भी मनुष्य को धर्म, सत्य और कर्तव्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
गीता के प्रथम श्लोक का संदेश
‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’ – इन दो शब्दों में ही गीता का सार निहित माना जाता है। श्रीकृष्ण संदेश देते हैं कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धर्म और नीति का पालन आवश्यक है, क्योंकि धर्म ही मनुष्य का रक्षक है।
गीता में श्रीकृष्ण के प्रमुख संदेश
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचनः मनुष्य का अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर नहीं। यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः – जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, तब भगवान स्वयं धर्म की रक्षा हेतु अवतार लेते हैं।
नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः – आत्मा अजर-अमर है, उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् – सज्जनों की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए भगवान समय-समय पर पृथ्वी पर प्रकट होते हैं।