Tuesday, July 8, 2025

जिले में दोनो विधानसभाओं से कांग्रेस को अपनो से खतरा , क्या पंचायत चुनाव के बाद विधानसभा में भी चलेगी चकिया ..?

वरिष्ठ पत्रकार राजेश विश्वकर्मा की कलम से :- 

अब तक के इतिहास में जब भी त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तब – तब भाजपा ने मारी बाजी

डिंडोरी — इस बार विधानसभा के होने वाले चुनाव में जिले की दोनो विधानसभाओं शहपुरा 103 से 10 और डिंडोरी क्षेत्र क्रमांक 104 से 09 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था,जिसमे शहपुरा से तीन और डिंडोरी क्षेत्र क्रमांक 104 से 1 प्रत्याशी ने अपना नाम वापस ले लिया है ,इस प्रकार अब 19 प्रत्याशियों में से शेष पंद्रह प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में रह गए है।लेकिन बता दें की दोनो ही विधानसभाओं में आज तक के इतिहास में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होते आया है,लेकिन इस बार के चुनाव में जहां डिंडोरी विधानसभा से त्रिकोणीय मुकाबला होने की आशंका जताई जा रही है तो वहीं शहपुरा से आप पार्टी के नेता अमर सिंह मार्को और गोंडवाना के अमान सिंह पोर्ट कांग्रेस के लिए आग में घी डालने का काम करेंगे और इसका सीधा फायदा भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में जा सकता है,क्यों की शहपुरा विधानसभा प्रत्याशी भूपेंद्र सिंह मरावी को अपनो से ही सबसे ज्यादा खतरा है, और संभवतः यह भूपेंद्र के लिए काफी नुकसान देह हो सकता है।

आसान नहीं ओम की राह — यहां यह बताना भी बेहद आवश्यक है की शहपुरा विधान सभा के लिए भाजपा ने एक बार फिर ओम प्रकाश पर दांव खेला है ,जिन्हे वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस के भूपेंद्र मरावी ने लगभग 32000 मतों से बाहर का रास्ता दिखाया था।मतलब साफ है की यहां की जनता पर से वह अपना विश्वास पूरी तरह खो चुके थे,और भाजपा हाईकमान ने एक बार पुनःविश्वास जताया है तो उसे बरकरार रखना और क्षेत्र की जनता – जनार्दन का आशीर्वाद प्राप्त करना इतना आसान नहीं है क्यों की यही से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अमान सिंह पोर्ते और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अमर सिंह मार्को ने भी समीकरण बिगाड़ने अपनी कमर कस रखी है।

ओमकार और रुदेश आमने – सामने — बात यदि डिंडोरी विधान सभा क्षेत्र कि की जाए तो यहां जनता में परिवर्तन की लहर देखी जा रही है,क्यों की क्षेत्र की जनता के पास यहां से कोई तीसरा विकल्प नहीं था,और फिर भाजपा भी बीते पंद्रह वर्षों से विकल्प नहीं ढूंढ पाई,और विकल्प ढूंढा भी तो नगर परिषद डिंडोरी से चर्चा पंकज तेकाम पर भरोसा जताया ,जिससे स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों में खासा रोष देखा गया था, और स्वयं पंकज भी आलाकमान के इस फैसले से अचंभित थे, चूंकि टिकट वितरण से पहले पंकज शहपुरा विधानसभा से तैयार कर रहे थे,लेकिन ओमप्रकाश की टिकट फाइनल होते ही उनके अरमानों पर पानी फेर दिया गया। फिर बजाग – समनापुर क्षेत्र जो की ओमकार का गढ़ माना जाता है से जनता का विश्वाश हासिल करना इतना आसान नहीं है। हां निर्दलीय प्रत्याशी रुदेश परस्ते अवश्य इस क्षेत्र से ओमकार की नाक में दम कर सकते है।क्यों की इससे पहले पंचायत चुनाव में रुदेश की चकिया में सारे प्रत्याशी पीसे गए थे,और नामांकन भरने के बाद रुदेश के पास फिर चकिया चलकर आ गई है,जिस पर क्षेत्रीय जन पहले ही विश्वाश जता चुके है और वर्तमान में जिस तरह रुदेश का प्रचार – प्रसार चल रहा है उससे यही कयास लगाए जा रहे हैं की चकिया एक बार फिर जमकर चलेगी । वह इसलिए भी की वर्चस्व की लड़ाई में दोनो में से कोई कम नही है।नगर सहित गांव – गली के गलियारों में यह आशंका भी जताई जा रही है की यदि रुदेश जितने ज्यादा मत हासिल करेंगे उसका सारा फायदा पंकज उठा ले जायेंगे।कुल मिलाकर इस बात को भी नही नकारा जा सकता की अब तक के विधानसभा चुनावों में जब भी त्रिकोणीय संघर्ष हुआ है तब – तब भाजपा के प्रत्याशी ने बाजी मारी है।

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