डिंडौरी के उत्कृष्ट विद्यालय मैदान में विनयांजलि कार्यक्रम संपन्न
– विनयांजलि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मौजूद रहें आमजन
सेवाजोहार (डिंडोरी):– जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज 18 फरवरी को ब्रह्मलीन हो गए हैं,उन्होंने विधिवत सल्लेखना धारण कर डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी जैन तीर्थ में देह त्यागा था,इसके बाद उनके अनुयायियों ने यहीं पर आचार्य श्री का अंतिम संस्कार किया,आज 25 फरवरी को डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी पर्वत समेत देशभर में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सम्मान में विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया।
जब तक सूरज चांद रहेगा मुनिवर आपका नाम रहेगा, नील गगन में एक सितारा आचार्य श्री को नमन हमारा, आदि आदि नारों के साथ सकल जैन समाज डिंडोरी ने समाधि सम्राट गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर मुनि महाराज जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पंक्तिबद्ध होकर उत्कृष्ट विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया समाज के दौरान आयोजित इस कार्यक्रम में सभी धर्म के गुरु प्रतिष्ठित नागरिक बंधु सभी राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारी विशेष कर हथकरघा में कार्यरत बंधुओ ने भाग लिया,सभी ने अपने-अपने उद्बोधन में आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनि महाराज के 18 फरवरी को नियम पूर्वक ली गई संलेखना एवं उनके बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प भी लिया उनका जीवन अकल्पनीय था । उन्होंने 55 वर्षों से नमक ,हरी सब्ज़ी , शक्कर , मीठा , फल , सभी प्रकार के ड्राई फ्रूट , दूध दही आदि आहार का त्याग कर दिया था । वे अद्भुत प्रतिभा के धनी थे । ऐसे दार्शनिक वर्तमान काल में मिलना असंभव है। वे जन जन के संत थे । नगर गौरव ब्रह्मचारी वैभव भैया ने अपने संबोधन में कहा कि आचार्य श्री के जीवन में प्रकाश डालना सूरज को दीया से रोशिनी दिखाना जैसा है जो हम श्रावक के वस के बाहर है । वे कभी भी अपने पूरे जीवन काल में किसी की निंदा नहीं किए । ग़लत को भी ग़लत नहीं बोले ऐसे गुरुवर वर्तमान में मिलना असंभव है । वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने हर वर्ग के लिए कल्याणकारी कार्य किए । उनका प्रभाव इस स्तर का था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कमेटी सतत उनसे सलाह ले कर शिक्षा नीति में संशोधन करती रही । वे प्रखाण्ड विध्वान अनेक भाषाओं में पारंगत थे । राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, नेता, अभिनेता उनसे इतने प्रभावित थे की उनसे भेट के लिये समय समय और मार्गदर्शन लेते रहते थे । वही एसडीओपी कृष्ण कांत त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में आचर्या श्री के साथ का अनुभव साजा करते हुए कहा कि २४ घंटे के अंदर् ही उन्हें मार्ग मिल जाता था जब वे किसी उलझन मुसीबत में होते थे । वे राष्ट्रचिंतक के साथ साथ यथा नाम तथा गुण को चरितार्थ किए । ऐसे युगपुरुष के बारे में शब्द पर्याप्त नहीं समझ आते ।
वही वक्ता के रूप में पीएन अवस्थी, भाजपा अध्यक्ष अवध राज बिलैया, शिवराज सिंह ठाकुर, हरेंद्र सिंह मार्को, राज कुमारी बग्घा, रामेश्वर महाराज, संगीता दीदी ने विन्यांजलि अर्पित कर गुरु चरणों में नमन किया।
सकल जैन समाज ने मनाया सेवा सप्ताह
डिंडोरी जैन समाज के द्वारा आचार्य श्री द्वारा समाधि लिए जाने के बाद सप्ताह भर सेवा कार्य किया गया जिसमें अन्य दान, रक्तदान, श्रमदान एवं अनेक परोपकारी कार्य किए गए महिलाओं के द्वारा आचार्य श्री जीव दया गौशाला के लिए लगभग ₹21000 की राशि पशु सेवा के लिए भेजी गई।
आचार्य श्री के मार्गदर्शन में संचालित कार्य
जनहित के कार्यों पर विशेष रूप से भक्तों ने आचार्य श्री के द्वारा जनहित में किए गए कार्य विशेष कर हथकरघा संचालन, इंडिया नहीं भारत बोलो, जीव दया हेतु गौशाला संवर्धन संरक्षण, बालिकाओं की उच्च शिक्षा के लिए प्रतिभास्थली, शुद्ध आहार शाकाहार, प्रत्येक व्यक्ति को उसकी भाषा में ही प्राथमिक शिक्षा हिंदी भाषा पर जोर आदि आदि विषयों पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा छोड़े गए कार्यों को पूरा करने का संकल्प लिया कार्यक्रम में सामाजिक युवाओं महिलाओं बच्चों के साथ-साथ जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन नगर पंचायत प्रशासन ने भी भाग लिया।
18 फरवरी को आचार्य श्री ने ली थी समाधि
एड. सम्यक् जैन ने बताया कि, आचार्य श्री जी ने अपनी संलेखना के पूर्व निर्यापक मुनि श्री 108 योग सागर जी महाराज एवं अन्य मुनियों के समक्ष आगामी आचार्य पद हेतु आचार्य गुरुवर विद्यासागर महाराज के प्रथम शिष्य निर्यापक मुनि 108 समय सागर जी महाराज को योग्य मानते हुए आगामी आचार्य पद देने का अंतिम आदेश दिया। 22 फरवरी को बालाघाट से पैदल विहार करते हुए मुनि समय सागर जी महाराज ससंघ चंद्रगिरी पहुंचे उन्होंने आचार्य भगवान को विनियांजलि देने के लिए पूरे भारत में एक ही दिन एक साथ 25 फरवरी दिन रविवार को विनयांजलि देने का निर्देश भारत के सभी जैन समाज एवं आचार्य भगवन विद्यासागर जी महा मुनिराज के अनुयायियों को दिया। गुरुवर के प्रति कृतज्ञता एवं विनयांजलि व्यक्त करने के लिए सकल जैन समाज के अध्यक्ष सतेंद्र जैन, शरद जैन, दिनेश जैन, डॉ सुनील जैन, पार्षद रितेश जैन, अम्बर जैन ने समस्त जैन समाज एवम् सभी समाज के अनुयायियों एवं शहरवासियों को विनम्र आग्रह पूर्वक आमंत्रित किया था। अंत में 2 मिनट का सर्वधर्म समभाव के माध्यम से आचार्य श्री को मौन श्रद्धांजलि दी गई।