मंडला से नीलम यादव
सेवाजोहार (मंडला):- कान्हा नेशनल पार्क वैसे तो बाघों के लिये तो जाना ही जाता है ..वहीं कान्हा नेशनल पार्क बारहसिंघा की अधिकता के लिये भी देश ही नहीं विदेशों मे ख्याति प्राप्त है ।कान्हा नेशनल पार्क से लगातार दूसरे पार्कों मे बारहसिंघा के स्थानांतरण की प्रक्रिया जारी है जिसके चलते कान्हा नेशनल पार्क से सतपुडा टाइगर रिजर्व 9 बारहसिंघा स्थानांतरित किये गये है जिसमें 7 मादा व 2 नर बारहसिंघा सतपुडा टाइगर रिजर्व सकुशल भेजे गये है ..बारहसिंघा को विशेषज्ञो,अधिकारियों ,कर्मचारियों विशेष रूप से निर्मित बोमा प्रक्रिया से बारहसिंघा को विशेष रूप से निर्मित वाहन से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भेजा गया ।अब तक कान्हा नेशनल पार्क से 115 बारहसिंघा सतपुडा टाइगर रिजर्व भेजे जा चुके है।
पूरी जानकारी
दिनांक 01-04-2024 को सरही परिक्षेत्र स्थित सौंफ मैदान से 09 बारासिंघा (02 नर एवं 07 मादा) को सफलता पूर्वक केप्चर किये जाकर सतपुड़ा टायगर रिजर्व की ओर रवाना किया गया। इस पूरे केप्चर प्रक्रिया का नेतृत्व सुनील कुमार सिंह, क्षेत्र संचालक, कान्हा टायगर रिजर्व द्वारा किया गया। केप्चर आपरेशन के दौरान पुनीत गोयल, उप संचालक (कोर), डाॅ. संदीप अग्रवाल, वन्यप्राणी चिकित्सक एवं उनका रेस्क्यू दल तथा कान्हा टायगर रिजर्व के अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा भाग लिया गया। इसके पूर्व कान्हा से सतपुडा टा. रि. 106 (22 नर एवं 74 मादा, 10 बच्चे) बारासिंघा स्थानांतरित किये गये है। राज्य पशु बारासिंघा के सतपुडा टायगर रिजर्व में ट्रांसलोकेशन हेतु भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा अनुमति दी गई थी। दिनांक 31-03-2024 को समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा विषय विशेषज्ञों द्वारा बारासिंघा केप्चर हेतु विशेष रूप से निर्मित बोमा का निरीक्षण किया गया एवं बारासिंघा केप्चर की रणनीति तैयार की गई। आज दिनांक को प्रातः 8 बजे से केप्चर प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई प्रातः लगभग 10ः30 बजे बारासिंघा केप्चर की प्रक्रिया पूर्ण की गई एवं बारासिंघा को विशेष रूप से निर्मित वन्यप्राणी परिवहन ट्रक में सतपुडा टायगर रिजर्व की ओर रेस्क्यू दल की देखरेख में रवाना किया गया। प्रदेश में इनकी संख्या बढ़ाने के उद्वेश्य से पिछले कुछ वर्षों में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल में 7 एवं बांधवगढ़ टायगर रिजर्व में 48 मध्य भारतीय हार्ड ग्राउण्ड बारासिंघा को सफलतापूर्वक स्थानांतरण किया जा चुका है। कान्हा में सत्तर के दशक में मात्र 66 बारासिंघा बचे थे, कान्हा प्रबंधन द्वारा बेहतर संरक्षण के चलते अब कान्हा में इनकी संख्या लगभग 948 तक हो गयी है।