वरिष्ठ पत्रकार राजेश विश्वकर्मा
सेवाजोहार (डिंडोरी):- नगर परिषद क्षेत्रांतर्गत भू – धारणाधिकार के नाम पर राजस्व विभाग और नप कर्मियों की संलिप्तता के चर्चे इन दिनों नगर में खासे चर्चित हैं,ऐसे में हम आपको नगर परिषद के ऐसे ही एक और मामले से रूबरू कराने जा रहे हैं ,जिसमे ना अधिकार पत्र ,ना पट्टा , ना ही जमीन की रजिस्ट्री और ना ही नजूल की एन ओ सी,बावजूद इसके रसूखदार को अनुज्ञा पत्र जारी कर दिया गया। रसूखदार ने भी इसका भरपूर फायदा उठाया और कंपनी चौक पुरानी डिंडोरी में तान दी बहुमंजिला इमारत क्यों..? और कैसे..? यह जानने की जहमत तमाम जानकारी के बावजूद अब तलक किसी ने भी नही की। ऐसा नहीं है की मामले की जानकारी जिले के आला अधिकारियों के संज्ञान में नहीं है,लेकिन सारे के सारे रसूख के आगे बेबस हो चले है। जिनका जोर सिर्फ और सिर्फ गरीबों पर चलता है। स्थिति देख यदि हम यह कहें की “रसूखदारों को राहत और गरीबों की आफत” तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।बहरहाल हम आपको सारी स्थिति से अवगत कराते हैं की यह सब क्यों और कैसे हुआ..?
मलबे की रजिस्ट्री को बनाया माध्यम – यहां यह बताना बेहद आवश्यक है की वार्ड क्रमांक 13 में कंपनी चौक पुरानी डिंडोरी से मंडला मार्ग पर खसरा नंबर 463 में डिंडोरी निवासी उमेश जैन ने 4 जनवरी 2019 को अब्दुल वहाब मंसूरी निवासी वार्ड क्रमांक 13 पुरानी डिंडोरी से दो मंजिला भवन का मलबा 25 लाख रूपये में रजिस्ट्री के माध्यम से क्रय किया। और सूत्र बताते हैं की उक्त मलबा 85 लाख में क्रय किया गया किंतु मलबे की रजिस्ट्री 25 लाख रूपये शो की गई। जिसे उमेश ने वास्तुविद से मिलकर भवन निर्माण की अनुमति हेतु नगर परिषद डिंडोरी में प्रस्तुत किया था।जबकि दस्तावेजों में कहीं भी जमीन की खरीद फरोख्त का जिक्र नहीं किया गया। बात यहीं खत्म नहीं होती बल्कि उमेश और वास्तुविद ने जो शपथ पत्र नगर परिषद में प्रस्तुत किए उसमे स्वामित्व दस्तावेजों के आधार पर ही अनुमति प्रदान की जा सकती है, जो भवन स्वीकृति का मुख्य आधार एवं अंग माना जाता है। फिर नगर परिषद से एन ओ सी भी नही ली और पांच मंजिला भवन लगभग बनकर तैयार है।जबकि नगर परिषद में राजस्व निरीक्षक सहित प्रत्येक वार्डो के सहायक भी होते है,मामला देख यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है की रसूखदार को अब तलक नगर परिषद ही राहत देती रही,अन्यथा इतनी हिमाकत एक साधारण व्यक्ति नही कर सकता।
यहां की मनमानी – प्राप्त जानकारी के मुताबिक भवन निर्माण का कार्य परिषद के लाइसेंसी सुपरवाइजर,इंजीनियर तथा वास्तुविद की देखरेख में ही स्वीकृति के अनुरूप करना अनिवार्य है,लेकिन यहां तमाम नियम कायदों को दरकिनार कर स्वीकृत क्षेत्र से अधिक भूमि पर बहुमंजिला इमारत का निर्माण कर दिया गया है। खसरा नंबर 463, रकबा 0.121 में से 2047 वर्गफीट शासकीय आबादी भूमि पर विक्रेता अब्दुल बहाव मंसूरी ने तल स्तर पर 222 वर्गफीट भूमि दो दुकानें एवं 370 वर्गफीट में आर सी सी मकान बना रखा था। तथा शेष 1090 वर्गफीट के रकबे में कच्चा मकान दर्शाया था। जिसके प्रथम तल में 592 वर्गफीट में टीन चादर का मकान बताया गया है। और इस बात का भी स्पष्ट लेख है की आबादी भूमि में स्थित निर्मित मकान की बिक्री की जा रही है। लेकिन उमेश ने यहां भी मनमानी करते हुए ज्यादा क्षेत्र में निर्माण कर लिया।
वास्तुविद को भी जारी हुआ था नोटिस – खबरों को संज्ञान में लेते हुए नगर परिषद डिंडोरी द्वारा भवन निर्माता को लगातार पत्राचार तो किया गया,लेकिन कार्यवाही महज खानापूर्ति तक सीमित रही। यहां तक की मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने पत्र क्रमांक /न. प./लो. नि./2024/627 डिंडोरी,दिनांक 29/02/2024 को एन पी एसोसिएट को भी पत्राचार कर भवन अनुज्ञा के प्राप्त ऑनलाइन प्राप्त आवेदन के संबंध में जानकारी चाही थी,जिसमे लेख किया गया था की ABPAS – 2,अंतर्गत प्राप्त ऑनलाइन आवेदन में ऋतु जैन के प्रकरण क्रमांक /JBP/DIN/HIN/0425176/2023 में कंपाउंडिंग हेतु प्रकरण का जिक्र किया है।जिसमे बिल्डिंग हाइट 13.2 मीटर दर्शाई गई है तथा वार्ड प्रभारी एवं राजस्व प्रभारी के स्थल निरीक्षण में बिल्डिंग हाइट 15.1 मीटर पाई गई है। जबकि निकाय द्वारा महज 12 मीटर तक की ही अनुमति दी जा सकती है।साथ ही भूमि संबंधी एवं मलबे की रजिस्ट्री प्रस्तुत की गई है और नजूल अनापत्ति प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत नही किया गया है।पत्र के अंत में मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने उक्त प्रकरण में एम पी एसोसिएट को भूमि संबंधी मालिकाना हक एवं पटवारी की भूमि स्वामित्व व भूमि डायरवर्शन रिपोर्ट पट्टा आदि प्रस्तुत करने लेख किया था।लेकिन दो माह गुजरने उपरांत भी संबंधित फर्म द्वारा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नही किए गए।
अब पट्टे के लिए किया आवेदन – सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अब भवन निर्माता ने उक्त बहुमंजिला इमारत के पट्टे के लिए नगर परिषद डिंडोरी में आवेदन किया है,जिसमे परिषद में पदस्थ बहुचर्चित चेहरा और आर आई राजस्व की महती भूमिका भी सामने आ सकती है,क्यों की हमने यह पहले ही दर्शाया की नगर परिषद क्षेत्रांतर्गत जिम्मेदारों ने भू – धारणाधिकार का फायदा ऐसे रसूखदारों को भी दिया है जो कहीं से पात्र नहीं थे।और फिर वास्तुविद के अलावा तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी और राजस्व निरीक्षक भी इस पूरे मामले में संदेह के दायरे में हैं जिन्होंने अधूरे दस्तावेजों के बावजूद भवन निर्माण में अनुमति प्रदान करने में महती भूमिका निभाई थी।