वरिष्ठ पत्रकार राजेश विश्वकर्मा
सेवाजोहार (डिंडोरी) — भारत के संविधान की 5वीं अनुसूची के अंतर्गत संपूर्ण डिंडोरी जिले को देश की अनुसूचित जनजाति क्षेत्र की सूची में संरक्षित किया गया है।जिसके माध्यम से प्रशासन द्वारा जिले की आदिवासी आबादी के हितों की रक्षा की जाती है। इस क्षेत्र में प्रशासन को कैसे कार्य करना चाहिए, इसके लिए भारत के संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों और अनुसूचियों का उल्लेख है। दरअसल 5वीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले अनुसूचित क्षेत्र में जब आदिवासी आबादी की सुरक्षा की बात आती है तो इसके लिए राज्य के राज्यपाल के पास विशेष शक्तियां और जिम्मेदारियां संरक्षित होती हैं। इस क्षेत्र में सरकार द्वारा कई योजनाओं के माध्यम से आदिवासी आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से करोड़ों रुपए की राशि भी लगातार खर्च की कराई जाती है। परंतु इस जिले के स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ भ्रष्ट अधिकारियों–कर्मचारियों के कारण यह राशि केवल कागजों में ही खर्च हो रही है। जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की उदासीन कार्यप्रणाली के चलते जिले के स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां हम बात कर रहे हैं जिले के एक ऐसे भ्रष्टाचार की जिसकी शिकायत विभाग की ही एक महिला अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से प्रताड़ित होकर की गई थी।
यह रहा मामला – बता दे कि यह सारा मामला जिले के समनापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है, जहां संस्था में पदस्थ खंड प्रोग्राम मैनेजर(बीपीएम) किरण मेहरा और खंड लेखा प्रबंधक (बीएएम) सीमा मरावी द्वारा की जा रही वित्तीय अनिमित्ततों की खबरें भी हमारे द्वारा समय – समय पर प्रकाशित की गई,किंतु उक्त दोनों कर्मचारियों के विरूद्ध विभाग द्वारा आज तलक तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई , जिसके परिणाम स्वरूप उक्त दोनों कर्मचारियों की मनमानी चरम पर जा पहुंची है। दरअसल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र समनापुर में पदस्थ दोनो विवादित कर्मचारियों ने संस्था प्रमुख खंड चिकित्सा अधिकारी को धोखे में रखकर संस्था में जमकर भ्रष्टाचार किया था,और जब यह तमाम जानकारी खंड चिकित्सा अधिकारी को लगी तो उन्होंने सर्वप्रथम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ–साथ जिले व प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों को सिलसिलेवार पत्राचार कर मामले की वस्तु स्थिति से अवगत कराया था,और जिम्मेदार इन पत्राचारों और अखबारी सुर्खियों को बारंबार नजर अंदाज करते रहे। नतीजतन सूत्रों के मुताबिक मामला इस कदर बिगड़ा कि सीबीएमओ ने प्रताड़ित होकर आरोपित कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही ना किए जाने की दशा में विभाग के समक्ष अपना त्यागपत्र तक प्रस्तुत करने का जिक्र किए गए पत्राचार में किया था। जिसके बाद विवश हो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय से कुछ बाबुओं ने जांच भी की और जमकर भ्रष्टाचार किया जाना भी पाया गया।
जांच दल ने भी पाया की हुआ है भ्रष्टाचार – सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग की खंड लेखा प्रबंधक एवं खंड प्रोग्राम मैनेजर द्वारा किया गया भ्रष्टाचार भी उजागर हो गया है और जांच दल के समक्ष वित्तीय अनिमित्ताओं की जांच के दौरान अजीबोगरीब तथ्य निकल कर सामने आए हैं, जिसमे जांच दल को विगत वर्ष के लगभग 60 भुगतानों में एक से बढ कर एक भ्रष्टाचार एवं वित्तीय अनिमित्ताएं देखने को मिली है। जिससे यह तो स्पष्ट हो चला है कि समनापुर सीबीएमओ और बीसीएम द्वारा पूर्व में खंड लेखा प्रबंधक एवं खंड प्रोग्राम मैनेजर पर लगाए गए आरोप गलत नहीं थे। परंतु जांच दल द्वारा संबंधित कर्मचारी से मांगे गए स्पष्टीकरण को देखकर यह प्रतीत हो रहा है कि जांच दल भी जांच के नाम पर महज खाननपूर्ति में लगा हुआ है।या यह भी कहा जा सकता है कि जांच दल भी आरोपित खंड प्रोग्राम मैनेजर और खंड लेखा प्रबंधक के कारनामों पर पर्दा डालने में जमकर मेहरबान दिख रहा है।
मृत व्यक्ति के खाते में कर दिया भुगतान – मनमानी का आलम भी ऐसा की यहां पदस्थ खंड लेखा प्रबंधक के द्वारा नियमविरुद्ध तरीके से एक मृत व्यक्ति के नाम पर भुगतान कर दिया गया है, और इसके लिए बाकायदा एक ई–भुगतान फाइल निर्मित की गई थी। जिसमे मृतक राजेन्द्र चंदेल को 14,770 रूपये राजकमल स्टेशनरी 6,310 रूपये एवं रामकुमार दर्राका को 17,500 रूपये का भुगतान किया जाना था। यहां मजे की बात यह कि खंड लेखा प्रबंधक द्वारा ई–भुगतान फाइल में संलग्न की जाने वाली नोटशीट के स्थान पर डिमांड लेटर को अपलोड कर भुगतान की कार्यवाही वरिष्ठों के समक्ष प्रस्तावित कर दी गई,और उक्त भुगतान फाइल का खंड प्रोग्राम मैनेजर द्वारा सहजता से सत्यापन भी कर दिया जाना खंड प्रोग्राम मैनेजर एवं खंड लेखा प्रबंधक की आपसी सांठ गांठ को स्पष्ट प्रदर्शित कर रहा है। जानकारों की माने तो उक्त दोनों कर्मचारियों द्वारा सीबीएमओ को धोखे में रखकर यह ई–भुगतान कराया गया है, जिसकी शिकायत स्वयं सीबीएमओ द्वारा बीते दिनों जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की गई थी।सबसे हास्यप्रद जानकारी तो तब प्राप्त हुई जब जांच दल ने जांच के दौरान पाया कि उक्त भुगतान हेतु खंड लेखा प्रबंधक द्वारा कार्यालय में विधिवत नोटशीट तक तैयार नही की गई।जिसके बाद बीपीएम और बीएएम की इस जोड़ी ने बड़ी ही सफाई से सीबीएमओ को गुमराह कर ई–भुगतान पोर्टल के माध्यम से पोर्टल में प्रस्तावित अन्य भुगतान फाइलों के साथ मृतक व्यक्ति के भुगतान को भी चिन्हित कर मृतक व्यक्ति के खाते में भुगतान भी करवा दिया और इस बात की जानकारी संस्था प्रमुख सीबीएमओ को भी नहीं दी।साथ ही जांच दल ने जांच में पाया है कि उक्त दोनों कर्मचारियों द्वारा अधिकांश भुगतानो में 5 वर्ष पुरानी नोटशीटो को संलग्न कर भुगतान कराया है एवं कई भुगतानों में मूल नोटशीटों के स्थान पर किसी अन्य अनुचित दस्तावेज को संलग्न कर भुगतान हेतु ई–फाइल खंड लेखा प्रबंधक द्वारा निर्मित कर बीपीएम द्वारा सत्यापित कर दी गई।इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट प्रदर्शित हो रहा है कि कार्यालय सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्र समनापुर के दस्तावेजी कार्यो में खंड लेखा प्रबंधक और खंड प्रोग्राम मैनेजर द्वारा बीते वर्षों में जमकर मनमानी की गई है। उक्त दोनों कर्मचारियों द्वारा विगत वर्षों में किए गए समस्त भुगतानों की जांच किया जाना अति आवश्यक है।सूत्र तो यहां तक कह रहे है की उक्त दोनों कर्मचारियों द्वारा विगत दिनों क्रय की गई निजी संपत्ति की जांच भी की जानी चाहिए।
शिकायतकर्ताओं से ही मांगा स्पष्टीकरण –– सूत्र तो यहां तक बता रहे है की जांच दल ने शिकायतकर्ता सीबीएमओ के साथ–साथ आरोपित कर्मचारियों से प्रताड़ित संस्था में पदस्थ बीसीएम से भी नोटिस के माध्यम से 3 दिवस के भीतर स्पष्टीकरण (जवाब) मांगा है। जानकारी तो यह भी सामने आ रही हैं की जांच दल ने विगत वर्ष के भुगतानों के लगभग 60 बिंदुओं पर संस्था के 4 अधिकारी व कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
मनमानियां ऐसी जो थमने का नाम नहीं लेती ––
जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच ने सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की गई जांच उपरांत 4 कर्मचारियों को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा है। चूंकि संस्था का संपूर्ण वित्तीय दस्तावेजी संबंधी प्रभार संस्था में पदस्थ खंड लेखा प्रबंधक सीमा मरावी के समक्ष संरक्षित है। तो नोटिस का जवाब बनाने के लिए जब सीबीएमओ द्वारा संस्था के पदस्थ खंड लेखा प्रबंधक सीमा मरावी से वित्तीय दस्तावेजों को मांगा गया तो पहले खंड लेखा प्रबंधक ने सीबीएमओ को दस्तावेज मुहैया कराने आश्वाशन दिया। परंतु बाद में हर बार की तरह इस बार भी खंड लेखा प्रबंधक अपनी संस्था सीबीएमओ को बगैर सूचना दिए ही संस्था से कार्यालयीन दस्तावेजों को लेकर गायब हो गई।जिसके बाद संस्था प्रमुख सीबीएमओ द्वारा अपने स्तर पर खंड लेखा प्रबंधक की बहुत खोजबीन कराई परंतु सीबीएमओ को खंड लेखा प्रबंधक के साथ उनके परिजनों तक के मोबाईल फोन लगातार बंद मिले है। जिससे संस्था प्रमुख सीबीएमओ द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी कर खंड लेखा प्रबंधक से कार्यालयीन दस्तावेजों को संस्था प्रमुख की बिना अनुमति के संस्था से बाहर ले जाने के विषय पर जवाब मांगा है।साथ ही खंड लेखा प्रबंधक के द्वारा किए गए इस कृत्य की सूचना जिला प्रशासन को भी दी है।
सवाल तो बनता है — सम्पूर्ण मामले पर सरसरी निगाह फेरने के बाद यह सवाल तो वाजिब होगा कि जब जांच दल द्वारा संस्था में जांच के दौरान बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं तो आरोपित कर्मचारियों के विरूद्ध अब तलक भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एफ आई आर दर्ज क्यों नही कराई गई..? आरोपितों के साथ शिकायतकर्ताओं से स्पष्टीकरण किस उद्देश्य से मांगा गया..? और फिर क्या यही है राज्य सरकार की गारंटी की आरोपितों को बख्शते हुए शिकायतकर्ताओं से स्पष्टीकरण मांग मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाए..?