Saturday, August 2, 2025

शांति के टापू मंडला में फिलिस्तीन झंडा, अच्छे आयोजनों में आखिर ऐसा क्यूं ?

लेखक दीपक ताम्रकार

सेवाजोहार (डेस्क) :– हम जब भी किसी आयोजन का जिक्र करते है तो उसकी सफलता या असफलता के पीछे जरूर जाते है। इसमें आयोजन कर्ता का मुख्य उद्देश्य इसकी महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है। ईद मिलादुन्नबी जैसा महत्वपूर्ण त्यौहार जो पूरे देश में मुस्लिम समुदाय के द्वारा बड़े उत्साह के साथ खुशी खुशी नगर नगर, गांव गांव में धूम धाम के साथ मनाया जाता हैं। इसके लिए मुस्लिम समाज कई दिनों से तैयारी में जुटा रहता है। फिर जब कार्यक्रम को अंतिम रूप देने का समय आता है जिसमे सैकड़ों नही हजारों की संख्या में समुदाय के लोग इकट्ठा होते है और आयोजन जुलूस या सभा की शक्ल लेता है तो ऐसा क्या हो जाता है की बाकी समाज के लोग इसे विवाद की नजर से देखने लगते है,इसके पीछे की मंशा तलाशते है।

ऐसा ही घटनाक्रम मप्र के मंडला जिले में घटित हुआ है। मंडला वही मंडला है जिसे शांति का टापू कहा जाता है,महिष्मति नगरी कहा जाता है, नर्मदा नदी जिसे लोग मां का दर्जा दिए है उसका पानी हर जाति,समुदाय और धर्म के लोग पीते हैं। प्यार और मजहबी अपने पन में पलने वाले नगर के लोगों में आखिर नफरत को जगह कैसे मिलने लगी,लोग अपने धार्मिक आयोजनों में ऐसा क्यों करने लगे है जिससे दूसरे धर्म के लोगों को दिक्कत होने लगी है।

अब सीधे चर्चा पर आते है मंडला नगर में सोमवार को ईद मिलादुन्नबी पर्व मनाया जा रहा था,देश के अमन चैन और आपसी भाईचारे के लिए अल्लाह से इबादत की जा रही थी,बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग इस जलसा जुलूस में शामिल थे,मुस्लिम पैगंबर साहब को याद कर नारे बाजी की जा रही थी, हाथों में मजहब का झंडा युवा,बच्चे खुशी खुशी सड़कों में जुलूस के आगे आगे लहरा रहे थे,इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल तैनात रहा और अप्रिय घटना से निपटने वीडियो ग्राफी मय सबूत के लिए बनाई जा रही थी। इस दौरान एक युवक के हाथ में फिलिस्तीन देश का झंडा दिखा जिसे बड़ी देर से लहराया जा रहा था उस झंडे में लिखा था आई लव मुहम्मदी,सवाल यह है की अच्छे और सफल आयोजन में बाहरी देश का झंडा क्यों?

क्या मंडला में आयोजित होते वाले जुलूस में यह पहले से ही तय कर लिया गया था कि ऐसा करना ही है। अगर करना ही था तो जुलूस की प्रशासनिक अनुमति के साथ इसकी अनुमति ली गई थी कि जुलूस के साथ फिलिस्तीन झंडा लहराया जायेगा ? जिसे युवक के हाथ में फिलिस्तीन झंडा था वह लाया गया कहा से,किसने उसके हाथों में थमाया ? यह तमाम सवाल है जो आयोजकों से पूछे जा सकते है जांच में !

वही इस पूरे घटनाक्रम में जब पुलिस सुरक्षा के मद्देनजर मौजूद रही तब क्या उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि जुलूस में फिलिस्तीन झंडा लहराया जाना है या देख कर भी मंडला पुलिस इसे नजर अंदाज कर रही थी और वीडियो बनाती रही कि बाद में कार्यवाही करेंगे ? क्या मंडला पुलिस का इंटेलिजेंस इतना फैल हो चुका है की शहर के एक जगह पर एक बैनर ऐसा लगा हुआ था जिसमें लिखा था “pray to फिलिस्तीन” उसकी जानकारी पुलिस के बड़े अधिकारियों को नही दी गई। अगर जानकारी दी गई तो विवाद के पहले ही हटाया क्यों नहीं गया ?

बहरहाल मप्र के बालाघाट,रतलाम सहित मंडला में फिलिस्तीन झंडा लहराया गया जिसमें पुलिस ने मामला कायम कर जांच शुरू कर दी है। पर ऐसे कई सवाल है जो घटना के बाद खड़े हो रहे है ? लहराना ही था तो भारत का तिरंगा ही काफी था लहराने के लिए जो देश की एकता,अखंडता और समरसता के लिए जाना जाता है।

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