पीटीसी इंदौर में पदस्थ है एएसपी सुनीता रावत
एएसपी के कार्यकाल की सराहना आज भी करता है डिंडोरी जिला
सेवाजोहार (डेस्क):- इंदौर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनीता रावत ने पीटीसी में झंडा वंदन किया। उन्होंने कोविड के दौरान शहीद हुए पुलिसकर्मियों को याद किया गया और कोविड के दौरान जिन पुलिसकर्मियों द्वारा बहुत ही अच्छा किया गया था उनकी सराहनीय की। प्रदेश के सभी पुलिसकर्मियों को कर्मवीर योद्धा पदक प्रदान गया है । इसी कड़ी में सुनीता रावत एवं उनके साथी पुलिस कर्मियों को कर्मवीर योद्धा पदक प्रदाय किए जाने का मौका मिला। इस अवसर पर पीटीसी के पुलिस कर्मियों को पदक दिया गया ।
महिला नवआरक्षक से लगवाया कर्मवीर योद्धा पदक
एएसपी सुनीता रावत को कोविड के दौरान बड़वानी जिले में कार्य करने का मौका मिला था जब महाराष्ट्र से लगातार लोग पैदल चलकर यूपी बिहार राजस्थान झारखंड आदि राज्यों को प्रस्थान कर रहे थे प्रथम कोविड में विस्थापन ज्यादा था और आदिवासी बड़वानी जिला दक्षिण से आने वाले मजदूरों और विस्थापित लोगों के लिए पहला बैरियर था यहां पुलिस के द्वारा लोगों को रोकना था और जब यूपी बॉर्डर खुलता तब हमें उन्हें छोड़ना पड़ता था इस दौरान बहुत ही दर्दनाक घटनाएं पुलिस कर्मियों ने देखी, एएसपी ने अपनी यादों को जाहिर करते हुए बताया है की बहुत ही विवश करने वाले चित्र आज भी मेरी आंखों के सामने दौड़ जाते हैं । एएसपी सुनीता रावत को भी कर्मवीर योद्धा पदक आज प्राप्त होना था परंतु विडंबना यह थी कि वे अपना कर्मवीर पदक किस से लगवाती , तभी उनके मन में विचार आया कि हमारे पीटीसी में अनुकंपा बैच का प्रशिक्षण चल रहा है और यहां प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी नवआरक्षक अपने किसी प्रिय जन के स्थान पर आए हैं नवआरक्षक से हमेशा चर्चा और मुलाकात होती रहती है, इसी दौरान एएसपी को याद आया कि इस बैच में एक बालाघाट जिले से अपने पति के शहीद होने के पश्चात प्रीति धुर्वे नाम की एक लड़की ट्रेनिंग करने के लिए आई है। एक दिन बातचीत के दौरान उसने बताया कि वह बहुत कम पढी लिखी हुई है और उसकी दो बेटियां हैं जिनकी देखरेख करने के लिए उसके परिवार में कोई नहीं है।
पीटीसी में वात्सल्य एक फुलवारी है: सुनीता रावत
एएसपी ने बताया की हमारे पीटीसी में वात्सल्य एक फुलवारी है जिसमें नव आरक्षक महिलाएं जो अपने बच्चों के साथ आती है उनको हम सुविधा प्रदान करते हैं कि वह अपने बच्चों को साथ रखें ट्रेनिंग कर सकती है। मुझे लगा कि आज इस नवआरक्षक को मंच पर आमंत्रित करना चाहिए और इससे मुझे कर्मवीर योद्धा पदक लगवाना चाहिए । मुझे बस उसके अंदर के डर को झिझक को खत्म करना था उसके चेहरे पर गर्व खुशी और हिम्मत देखना था। तो फिर क्या था बस मैंने उससे आज कर्मवीर योद्धा पदक ग्रहण किया और मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है ,सुनीता रावत ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर सभी को गणतंत्र दिवस की बहुत सारी शुभकामनाएं दी है।
कोरोना काल के दौरान की यादें : जब बेबस होकर लौट रहे लोगों के लिए पुलिस मैदान में डटी रही।