सेवाजोहार (डेस्क):-डिंडोरी कुटुंब न्यायालय ने 10 वर्षों से जुदा एक जोड़े को दोबारा एक करने में अहम भूमिका निभाई है। पारिवारिक विवाद और अंतर्कलह के चलते शादीशुदा जोड़ा टूटने की कगार पर आकर खड़ा था, लेकिन न्यायालय की समझाइश के बाद पति पत्नी फिर एक हुए और नया जीवन शुरू करने के लिए राजी हुए। यह मामला नेशनल लोक अदालत के माध्यम से कुटुंब न्यायालय में चला।
मामले की जानकारी
डिंडोरी कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम कनईसांग निवासी महेंद्र ठाकुर का विवाह घानाघाट निवासी गंगा बाई से हुआ था। शादी के कुछ समय गुजरने के बाद दोनों के बीच पारिवारिक कलह पैसों को लेकर बढ़ने लगी और विवाद बढ़ते बढ़ते टूटने की कगार पर आ गया। जिसके बाद मामला दोनों का कुटुंब न्यायालय में जा पहुंचा।
न्यायालय की समझाइश
न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय एम एल राठौर की समझाइश के बाद पति पत्नी एक दूसरे के साथ रहने के लिए फिर से राजी हुए और आज अपने बेटे शुभम को लेकर कोर्ट से घर रवाना हुए। जहां न्यायाधीश ने दोनों को पौधा भेट कर नए जीवन की शुरुआत करने की शुभकामनाएं दीं।
पति पत्नी का स्वागत
इस दौरान कुटुम्ब न्यायालय परिसर में न्यायाधीशों के सामने पति पत्नी ने एक दूसरे को फूल माला पहनाकर स्वागत किया। यह एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक था, जिसमें दोनों ने एक दूसरे के साथ रहने और अपने परिवार को मजबूत बनाने का संकल्प लिया। वही वकील अभिनव कटारे एवं आरती पी चंदेल की महत्वपूर्ण भूमिका सुलह कराने में रही।
डिंडोरी कुटुंब न्यायालय की समझाइश से एक जोड़े का 10 वर्षों का विवाद समाप्त हुआ और वे फिर से एक हुए। यह एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे न्यायालय की भूमिका से परिवारों को मजबूत बनाया जा सकता है और विवादों का समाधान किया जा सकता है।
जजों की रही मौजूदगी
प्रधान एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती शशिकांता वैश्य, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय श्री मुन्नालाल राठौर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री गिरजेश सनौड़िया,सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण श्री आशीष केसरवानी न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री उत्कर्ष राज सोनी, अधिवक्ता अभिनव कटारे एवं आरती प्रभा चंदेल की मौजूदगी में दंपत्ति अपने घर के लिए खुशी खुशी रवाना हुए।