Thursday, October 16, 2025

रेखा ताम्रकार ‘राज’ की रचना – नेक भावना

*दुनिया में जो अच्छा चाहो,*
*रखना मन में नेक भावना।*

दीन-हीन जब राह में मिले,
बाँह फैला कर लग जा गले।
जिंदगी के दिन हैं बस चार,
मौका फिर तुझे मिले न मिले।
नर सेवा से मिलें नारायण,
कर प्यारे सच्ची उपासना।
*दुनिया में जो अच्छा चाहो,*
*रखना मन में नेक भावना।*

बड़े – बूढ़ों का सम्मान हो,
नहीं नारी का अपमान हो।
धरा में हर एक जीवों का,
लालन-पालन इक समान हो।
ऊँच-नीच का भेद मिटा कर,
समरसता की हो अराधना।
*दुनिया में जो अच्छा चाहो,*
*रखना मन में नेक भावना।*

तेरा – मेरा का तजे शोर,
‘मैं’ से पहुँचे ‘हम’ की ओर।
बैर – बुराई ईर्ष्या छोड़े,
नेह की वर्षा हो चहुँओर।
दिन-पे-दिन प्रभु से मिलने की
बढ़ती ही रहे मन कामना।
*दुनिया में जो अच्छा चाहो,*
*रखना मन में नेक भावना।*

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