दीपक ताम्रकार की कलम से :-
में ये मानता हूँ कि केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास विधानसभा सीट से हार के बाद बिना देर किए पुनः निवास विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच जाकर उनका हृदय से आभार व्यक्त करना चाहिए और ठंडे व शांत मन से पूछना चाहिए कि उनमें कमी कहा रह गई थी या वे निवास विधानसभा क्षेत्र की जनता की उम्मीद पर कभी खरा उतर ही नहीं पाए ?
अगर जनता वोट न देने के बाद उनसे खुल कर दिल की बात करें और सच्चाई बताए तो समझियेगा की भविष्य के लिए फग्गन सिंह के लिए सुधार की संभावना बन सकती है और कुलस्ते परिवार के लिए निवास विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित बन सकता है। अब यह पांच साल निवास को विकास के रास्ते (नेशनल हाइवे,बांध,जिला घोषित) पर लाने के लिए विपक्षी विधायक का साथ भी लेना पड़े तो कोई बुराई नहीं होनी चाहिए क्योंकि सरकार तो भाजपा की है ही पूर्ण बहुमत के साथ।
खैर फग्गनसिंह कुलस्ते भले ही निवास से हार गए हो लेकिन उनकी हार के चर्चे प्रदेश सहित देश में है। उनकी लोकप्रियता भले ही निवास व मंडला जिले में घटी है(मोदी और शिवराज को छोड़कर) लेकिन देश के कई राज्यो में आज भी है,जिसे भाजपा पार्टी अच्छे से जानती ओर पहचानती है।
एक बात और फग्गन सिंह कुलस्ते को पुरानी टीम से अलग अब अपनी नई टीम युवाओं की बनानी चाहिए ,क्योंकि युवा बेहद ही जागरूक,मिलनसार और आमजनों के बीच बना रहता है चाहे खेल में हो या सामाजिक व धार्मिक आयोजनों में,हर वर्ग इन्ही युवाओं से अपनी दुख तकलीफ और मन की बात साझा करता हैं। चंद चेहरों पर भरोसा ही दुखदाई रहा है कुलस्ते के लिए इस बात को समझना बेहद जरूरी है, वही पुराने चेहरे और उनकी रीति नीति आज के बदलते परिवेश में चुनावी रणनीति बोगस साबित हुई हैं। निवास की चाहत और जरूरत जमीनी है हवाहवाई नहीं इस लिए अब जमीन में उतरकर काम करने की जरूरत है नहीं तो क्षेत्र की जनता बड़े नेताओं को रुखसत करने में देर नहीं करती है।
(मंडला – जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग आज भी अधूरा है,जिला बनाने की मांग वर्षों से अधूरी पड़ी,सूखे क्षेत्र से किसान पलायन को मजबूर – यह तासीर निवास विधानसभा क्षेत्र की बनी हुई है)
समय है बस हार की आत्मसात का !