सेवाजोहार (डिंडोरी):- अब तक आपने पत्नी के पति का घर छोड़ने की कई वजह सुनी होंगी,कही आपसी विवाद,कही मारपीट तो कही दहेज की मांग, लेकिन जो वजह हम आपको बताने जा रहे है यह कुछ हट के है। घर के खाली बर्तन को देखता और अपनी तकदीर को कोसता ये है जितेंद्र सोनी,जिसकी बीवी अपने बच्चों के साथ घर छोड़कर मायके चली गईं। अब खाली घर पर बिना बीवी बच्चों के समय बिता रहे जितेंद्र कलेक्टर डिंडोरी की जनसुनवाई में जाने की सोच रहे हैं ताकि अपनी समस्या रखकर उसे कलेक्टर से दूर करने गुहार लगा सके। जितेंद्र सोनी की माने तो उनकी बीवी उनके कारण घर छोड़कर नहीं गई बल्कि गांव में सालों से हो रही पानी की समस्या के चलते घर छोड़कर चली हैं,गांव में जल संकट के चलते उसके घर में पानी खाना बनाने लायक तो स्टोर कर लिया जाता है लेकिन नहाने और बाहरी निस्तार के लिए नहीं हो पाता जिसमें घर में कलह पैदा होती रही और हालात बीवी के घर छोड़ने लायक बन गए। गांव में जितेंद्र का परिवार अकेला नहीं बल्कि और भी परिवार हैं जिनके घर की पत्नी और बहु बढ़ती गर्मी के चलते ससुराल छोड़ने मजबूर हैं।
दरअसल पूरा मामला जिला मुख्यालय से लगे ग्राम देवरा का हैं, यहां की कुल आबादी लगभग 3000 की हैं अगर हंस नगर और साकेत नगर को छोड़ दिया जाए तो देवरा गांव में लगभग 2 हजार की जनसंख्या हैं,जहां नलजल योजना तो पहुंच चुकी हैं पर पानी महीने में कुल 10 दिन ही ग्रामीणों के घरों में पहुंचता है,वही गांव में लगभग 5 कुएं हैं जो साफ सफाई के अभाव में दम तोड़ चुके है,अगर हैंडपंप की बात करे तो तीन हैंडपंप हैं जिसमें बमुश्किल पानी निकलता हैं,ऐसे में गांव वालों को पानी इकट्ठा करने के लिए दिनभर मशक्कत करनी पड़ती हैं,जिससे ग्रामीणों से विवाद की स्थिति पैदा होती हैं।
ग्राम देवरा जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर में बसा हुआ हैं लेकिन जितेंद्र सोनी का आरोप है कि गांव में नलजल योजना स्वीकृत हुई थी लेकिन बाहुबलियों के दबाव में वह हंस नगर में टंकी बन गई और देवरा पानी से अछूता रह गया,पानी टंकी के लिए देवरा गांव के लोगों ने बहुत प्रयास किए लेकिन पीएचई विभाग के अफसर उनकी नहीं सुने और टंकी हंस नगर में बना दी। ऐसे ही जल जीवन मिशन के तहत जो पाइप लाइन बिछनी चाहिए उसमें भी देरी हो रही हैं जिसके चलते देवरा गांव जल संकट से जूझ रहा हैं।
देवरा गांव की बहु माया सोनी ने भी गांव में जलसंकट को लेकर अपना दुखड़ा मीडिया के सामने रखा और बताया कि जल्द भी वे अपने मायके जाने वाली हैं क्योंकि पानी की कमी के चलते गांव और घर में आए दिन विवाद होता हैं जिसके चलते वे अब सहन नहीं कर सकती हैं।गांव के घरों में शौचालय तो है लेकिन भरपूर पानी नहीं है,गांव की पढ़ी लिखी महिलाएं बाहर शौच के लिए नहीं जा सकती क्योंकि उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता हैं,लेकिन गांव के घरों में पानी इतना भी नहीं रहता कि बाहरी निस्तार के लिए सहेजा जा सके।
वैसे देखा जाय तो बहुत हद तक शासन भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार है जिले में कितना विकास हुआ है किसी से छिपा नहीं है