Friday, July 4, 2025

शिवराज शाह शिवा भैया नाम तो सुना होगा !विधानसभा चुनाव में बल्लेबाजी कर पाएंगे या ?

मंडला – मंडला की राजनीति खासकर भाजपा के अंदुरुनी खेमे की किसी से छिपी नहीं है। यही कारण है कि भाजपा में सालों से अपना सब कुछ समर्पित करने वाले भाजपा नेता कही शीर्ष से अनदेखी तो कही कार्यकर्ताओं की बेरुखी का शिकार हुए है इनमें शिवराज शाह शिवा भैया,नीरज मरकाम,जगत मरावी सहित अन्य नेता शामिल है। बिछिया विधानसभा से पिछली बार भाजपा में शिवराज को उम्मीदवार बनाया तो बिछिया क्षेत्र के नेता और कार्यकर्ताओं ने खुलकर विरोध किया और परिणाम कांग्रेस के पक्ष में गया। इसी तरह से अपने राजयोग का इंतजार कर रहे नीरज मरकाम और जगत सिंह मरावी को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने आज तक विधानसभा चुनाव के लिये मौका नही दिया।

इस बार भी टेंशन बरकरार

अब बात इस बार के विधानसभा चुनाव वर्ष 2023 की करें तो भाजपा ने सबसे पहले बिछिया विधानसभा से अपना उम्मीदवार ऐसे व्यक्ति को चुना जो न तो पार्टी का कार्यकर्ता था और न ही राजनीति में कदम रखा था। पेशे से डॉक्टर होने की वजह से प्रदेश भाजपा ने यह दांव इस लिए खेला है ताकि बिछिया के कांग्रेस विधायक नारायण पट्टा को हराया जा सकें लेकिन बिछिया विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर आलाकमान की टेंशन बढ़ा दी है। हालांकि भाजपा से बिछिया विधानसभा के उम्मीदवार डॉक्टर साहब जनसंपर्क में तेजी से जुड़ चुके है ।

शिवराज शाह के भाग्य का फैसला क्या हो चुका ?

हमारे सूत्र बताते है कि भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम के दौरान ही मंडला और निवास विधानसभा के संभावित उम्मीदवार तय किये जा चुके है। बस नामों की आधिकारिक घोषणा ही बाकी है। इस बार शिवराज शिवा भैया मंडला विधानसभा से दावेदारी कर चुनाव लड़ने का मन बना चुके है बस नामों की सूची का इंतजार है और वे बल्लेबाजी के पूरी तरह से तैयार है। लेकिन सोशल मीडिया में जनता से शिवराज शाह बेहद दूर है और उनकी व्यक्तिगत टीम भी सक्रिय नहीं है। हालांकि पार्टी के पास मंडला विधानसभा के लिए भी एक डॉक्टर का नाम पहुँच चुका है ऐसे में पार्टी के आलाकमान असमंजस में जरूर है।

निवास से किसको मिलेगा भाजपा से मौका ?

इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए बेहद अहम और खास है। सभी पार्टियां आदिवासी विधानसभा पर फोकस जमाये हुए है और आदिवासी वोटरों को लुभाने कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। ऐसे में परिवारवाद को छोड़ क्या भाजपा नए चेहरे पर दांव खेलेगी या पुनः वही चेहरा मैदान में उतरेगी यह समय ही बताएगा।

चुनावी खबरों के लिए बने रहिये सेवा जोहार मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के साथ

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