अधिवक्ता सम्यक् जैन, मनन अग्रवाल, धीरज तिवारी ने दर्ज कराई थी याचिका
डिंडोरी :- मध्यप्रदेश की जीवन रेखा व आस्था एवं श्रद्धा की केंद्र पतित पावनी मां नर्मदा में मिल रहे गंदे नालों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली ने गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश सरकार के शहरी विकास और आवास विभाग के प्रमुख सचिव को 22 नवंबर को व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए समन जारी किए है। बता दें कि पूर्व में सुनवाई करते हुए अधिकारियों से जवाब तलब किया था, कलेक्टर एवं सीएमओ नगर परिषद डिंडौरी के द्वारा दायर जवाब में सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट का 30 फीसदी कार्य किये जाने का दावा किया गया था, मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने जिम्मेदार अधिकारियों पर तल्ख़ टिपड़ी करते हुए प्रमुख सचिव, शहरी प्रशासन एवं विकास विभाग से 4 सप्ताह में अनुपूरक रिपोर्ट दाखिल करने की हिदायत दी थी जिससे आयोग असंतुष्ट रहा।
वर्तमान में नगर के 7 से 8 नालों से सीधे तौर पर दूषित अपशिष्ट नर्मदा नदी में प्रवाहित किया जा रहा हैं जिसके चलते दिनों दिन माँ नर्मदा में प्रदूषण बढ़ रहा है। मामले को लेकर अधिवक्ता सम्यक जैन, मनन अग्रवाल, धीरज तिवारी ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में याचिका दायर कर कार्रवाई की माँग की थी।
मामले की सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को कार्रवाई रिपोर्ट से पता चला कि कुल 30 फीसदी काम पूरा हो चुका है। हालाँकि, रिपोर्ट में डब्ल्यूटीपी की स्थापना में देरी के मुद्दे का जिक्र नहीं किया गया था, जिसे वर्ष 2016-17 में मंजूरी दी गई थी और नींव रखी गई थी। यह काम पूरा हो जाना चाहिए था। आश्चर्य की बात यह है कि सात वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद मात्र 30 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो सका है। वही आयोग ने कहा जल उपचार संयंत्र न केवल मनुष्यों की रक्षा के लिए ज़रूरी है बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को अपशिष्ट जल में पाए जाने वाले हानिकारक और विषाक्त तत्वों से बचाने के लिए भी आवश्यक है।
आयोग की उपरोक्त चिंताओं और टिप्पणियों के मद्देनजर, मध्य प्रदेश सरकार के शहरी विकास और आवास विभाग के प्रमुख सचिव को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत उपस्थिति होने समन जारी किए है। अगली सुनवाई 22 नवंबर को नियत की गई हैं।